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ब्राज़ील में कपास की बिक्री में तेज़ी; ICAC को 2025/26 में उत्पादन में वृद्धि का अनुमान

ब्राज़ील में कपास बिक्री में उछाल; ICAC ने 2025/26 में उत्पादन वृद्धि का अनुमानअंतर्दृष्टि:▪️ब्राज़ील के कपास बाज़ार में अगस्त के मध्य में तरलता में वृद्धि देखी गई क्योंकि कीमतें मई के स्तर पर आ गईं, जिससे घरेलू बिक्री में तेज़ी आई।▪️CEPEA/ESALQ सूचकांक 15 अगस्त तक 2.9 प्रतिशत गिरकर BRL 4.0140/lb पर आ गया।▪️कटाई की प्रगति धीमी रही, 7 अगस्त तक 33.56 प्रतिशत कटाई पूरी हो पाई, जो औसत से कम है।▪️वैश्विक स्तर पर, ICAC का अनुमान है कि 2025/26 में उत्पादन 25.91 मिलियन टन होगा, जो 1.55 प्रतिशत की वृद्धि है, जबकि खपत 25.56 मिलियन टन होगी, जो आपूर्ति से थोड़ा कम है।ब्राज़ील के घरेलू कपास बाज़ार में अगस्त के मध्य में तरलता बढ़ी, क्योंकि खरीदार और विक्रेता दोनों ही सौदे पक्के करने की कोशिश कर रहे थे, और सावधि अनुबंधों का व्यापार बढ़ गया। सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज़ ऑन एप्लाइड इकोनॉमिक्स (सीईपीईए) के अनुसार, निर्यात समता कम होने के कारण कीमतों में थोड़ी गिरावट आई है और वे मई 2024 के स्तर पर पहुँच गई हैं, जिससे घरेलू बिक्री और भी आकर्षक हो गई है।सीईपीईए/ईएसएएलक्यू सूचकांक (8 दिनों में भुगतान) 31 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 2.9 प्रतिशत गिरकर 15 अगस्त को बीआरएल 4.0140 प्रति पाउंड पर बंद हुआ।अब्रापा के अनुसार, 7 अगस्त तक ब्राज़ील की 2024/25 कपास की 33.56 प्रतिशत फसल की कटाई हो चुकी थी। देश के शीर्ष उत्पादक माटो ग्रोसो में, कटाई 27 प्रतिशत तक पहुँच गई, जबकि बाहिया में यह 40.56 प्रतिशत रही, सीईपीईए ने ब्राज़ील के कपास बाज़ार पर अपनी नवीनतम पाक्षिक रिपोर्ट में कहा।कॉनैब के आंकड़ों के अनुसार, 2 अगस्त तक राष्ट्रीय फसल का 29.7 प्रतिशत हिस्सा काटा जा चुका था, जो एक साल पहले के 36.7 प्रतिशत और पाँच वर्षों के औसत 46.1 प्रतिशत से कम है। माटो ग्रोसो में, 20.9 प्रतिशत फसल काटी गई, जो पिछले वर्ष दर्ज 31.8 प्रतिशत और पाँच वर्षों के औसत 41.4 प्रतिशत से काफी कम है।वैश्विक स्तर पर, अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (ICAC) का अनुमान है कि 2025/26 में कपास का रकबा 31.3 मिलियन हेक्टेयर होगा, जिसकी औसत उपज 827 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होगी। विश्व उत्पादन 25.912 मिलियन टन तक पहुँचने की उम्मीद है, जो पिछले सीज़न से 1.55 प्रतिशत अधिक है।उपभोग 25.564 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो 2024/25 की तुलना में 0.26 प्रतिशत अधिक है, हालाँकि वैश्विक आपूर्ति से अभी भी 1.34 प्रतिशत कम है।और पढ़ें :- भारत ने अमेरिका से कपास आयात पर शुल्क हटाया

भारत ने अमेरिका से कपास आयात पर शुल्क हटाया

भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों में आई नरमी को देखते हुए कपास आयात पर शुल्क हटा दियानई दिल्ली : अमेरिका के साथ तनावपूर्ण व्यापारिक संबंधों में आई दरार को पिघलाने के लिए भारत सरकार ने सोमवार देर रात कपास आयात पर सीमा शुल्क और कृषि उपकर हटा दिया। उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि इससे तनाव कम हो सकता है और आपसी सहयोग के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं।वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के माध्यम से, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा कि शीर्षक 5201 के तहत आने वाले सभी आयात - जिसमें कच्चा कपास भी शामिल है - 19 अगस्त से 30 सितंबर के बीच शुल्कों से मुक्त रहेंगे। इस फैसले से अमेरिकी निर्यातकों को सीधा लाभ होने की उम्मीद है, जो इस साल की शुरुआत में वाशिंगटन द्वारा भारतीय उत्पादों पर शुल्क बढ़ाए जाने के बाद से भारत में आसान बाजार पहुँच के लिए दबाव बना रहे हैं।यह घटनाक्रम दोनों पक्षों के बीच महीनों से चल रही खींचतान के बाद आया है, जिसमें भारत द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर अपना रुख बनाए हुए है। कपास पर अस्थायी राहत देकर, नई दिल्ली अपनी मूल सीमाओं से समझौता किए बिना लचीलेपन का संकेत दे रही है।अमेरिकी वार्ताकारों की टीम, जो 25 अगस्त को छठे दौर की वार्ता के लिए नई दिल्ली आने वाली थी, ने अपना दौरा रद्द कर दिया है और अभी तक कोई नई तारीख घोषित नहीं की गई है।गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 25% पारस्परिक शुल्क 7 अगस्त से प्रभावी हो गए थे और 27 अगस्त को दोगुना होकर 50% हो सकते हैं, जब रूस के साथ नई दिल्ली के तेल व्यापार से जुड़े अतिरिक्त शुल्क लागू होंगे।इस नवीनतम छूट से पहले, भारत में कपास के आयात पर लगभग 11% का संयुक्त शुल्क लगता था।थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, "यह एक सोची-समझी पहल है जो घरेलू संवेदनशीलता की रक्षा करते हुए अमेरिकी चिंताओं का समाधान करती है।" श्रीवास्तव ने आगे कहा कि छूट की यह छोटी अवधि सरकार को चल रही वार्ताओं में अपना प्रभाव बनाए रखने की अनुमति देती है।इस कदम को भारत की अपनी आपूर्ति आवश्यकताओं की पृष्ठभूमि में भी देखा जा रहा है। घरेलू बाजार में कपास की उपलब्धता कम रही है, और उद्योग निकाय बार-बार सूत की ऊँची कीमतों और वस्त्र उद्योग में लागत दबाव के जोखिम की ओर इशारा करते रहे हैं। शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देकर, सरकार का लक्ष्य त्योहारी सीज़न से पहले कच्चे माल की कीमतों को कम करना है, जब कपड़ों की माँग आमतौर पर बढ़ जाती है।अमेरिका के लिए, यह छूट महत्वपूर्ण है। चीन द्वारा अमेरिकी कपास पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के साथ, भारत एक आशाजनक वैकल्पिक बाजार के रूप में उभरा है। उद्योग जगत के नेताओं ने कहा कि शुल्क हटाने से हाल के अविश्वास को कम करने में मदद मिल सकती है। एक प्रमुख परिधान निर्यातक संघ के एक कार्यकारी ने कहा, "कपास चर्चा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। यह कदम बातचीत में सद्भावना का संचार कर सकता है और शायद वस्त्रों में व्यापक टैरिफ रियायतों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।""CITI (भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ) लंबे समय से अनुरोध कर रहा है कि घरेलू कपास की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप लाने में मदद के लिए कपास पर आयात शुल्क हटाया जाए। इसलिए हम अधिकारियों द्वारा उठाए गए इस कदम का हार्दिक स्वागत करते हैं, भले ही यह राहत केवल अस्थायी रूप से उपलब्ध हो," CITI की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा।भारतीय कपास संघ के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में आयात बढ़कर 2.71 मिलियन गांठ हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 1.52 मिलियन गांठ और वित्त वर्ष 2023 में 1.46 मिलियन गांठ था। प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम के बराबर होती है।कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत का कपास उत्पादन 2022-23 में लगभग 33.7 मिलियन गांठ से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 32.5 मिलियन गांठ और वित्त वर्ष 2025 में अनुमानित 30.7 मिलियन गांठ रह गया। (कपास उत्पादन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक होता है।)अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, चीन दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक है, जिसके 2024/2025 में 32 मिलियन गांठ कपास का उत्पादन होगा, जो वैश्विक उत्पादन का 26% है। भारत 25 मिलियन गांठ कपास के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जो वैश्विक कपास उत्पादन का 21% है।और पढ़ें :- रुपया 10 पैसे मजबूत होकर 87.25 पर खुला

मॉनसून फिर हुआ सक्रिय, 12 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट!

देश में फिर एक्टिव हुआ मॉनसून! इन 12 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें अपने शहर का मौसम।देश में मॉनसून का प्रभाव अब काफी हद तक बदल चुका है. पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश अभी भी बनी है और कई राज्यों में बाढ़ तथा बादल फटने जैसी घटनाओं को लेकर चिंता बढ़ी है. वहीं मैदानी इलाकों में बारिश अब घटने लगी है, लेकिन कुछ राज्यों में हल्के या तीव्र बारिश के दौर जारी हैं. खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू‑कश्मीर में बादल फटने का डर लोगों को सताए हुए है.पहाड़ी इलाकों में मॉनसून का असरहाल ही के दिनों में पहाड़ी क्षेत्रों-जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू‑कश्मीर में मॉनसून की रफ्तार तेज बनी हुई है. कई स्थानों पर जोरदार वर्षा, जलोढ़ प्रवाह और बादल फटने जैसे खतरनाक प्राकृतिक घटनाओं ने स्थानीय लोगों की चिंताओं को बढ़ाया है. हाल की घटनाएं लोगों को सतर्क रहने पर मजबूर कर रही हैं. मैदानी इलाकों में बारिश में कमीउधर, मैदानी इलाकों में मॉनसून अब कमजोर पड़ने लगा है. बारिश का सिलसिला क्रमशः कम हुआ है, जिससे मौसम में गर्मी और उमस बढ़ रही है. विशेषकर पश्चिमी व पूर्वी यूपी के कई इलाकों में दिन में तेज धूप और रात में चिपचिपी गर्मी अधिक महसूस की जा रही है. यह बदलाव लोगों के लिए असहज हो गया है, लेकिन भारी वर्षा की कमी ने राहत और जलभराव की स्थिति में कमी ला दी है.दिल्ली का मौजूदा हालदिल्ली में आज, यानी 18 अगस्‍त, मौसम विभाग ने किसी भी तरह की गंभीर चेतावनी जारी नहीं की है. कुल मिलाकर, बारिश की संभावना कम बताई जा रही है. हालांकि, देर शाम मौसम के अचानक बदलने की आशंका भी बनी हुई है. पिछले कुछ दिनों में लगातार बारिश के चलते यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ था. उत्तर प्रदेश: उमस, गर्मी और थोड़ी बहुत आशंकाउत्तर प्रदेश में मूसलाधार बारिश की संभावना फिलहाल दूर लग रही है. मौसम विभाग के अनुसार अगले 72 घंटों में कहीं भी भारी वर्षा होने की संभावना नहीं जताई गई है.18 अगस्‍त को पश्चिमी राज्यों के कुछ जिलों और पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी या गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है, लेकिन यह बेहद सीमित रहेगी.19 और 20 अगस्‍त को भी पश्चिमी से लेकर पूर्वी यूपी तक कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना बन रही है.इस बीच, गर्मी और उमस लोगों को अधिक परेशान कर रही है, खासकर दिन की गर्मी और रात की नमी के कारण राहत बहुत कम मिल रही है.बिहार में बदला मौसम, भारी बारिश की चेतावनीबिहार में 18 अगस्‍त को मौसम फिर बिगड़ने वाला है. मौसम विभाग, पटना ने पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज और पूर्णिया जिलों के लिए भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है. इस दौरान आकाशीय बिजली गिरने की भी आशंका जताई गई है. लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने के लिए निर्देशित किया गया है ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके.उत्तराखंड में येलो अलर्ट और सतर्कताउत्तराखंड के मौसम विज्ञान केंद्र ने पौड़ी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. अन्य जिलों में भी गरज-चमक, आकाशीय बिजली और तेज दौरों के साथ तीव्र बारिश हो सकती है. देहरादून में आज आंशिक बादल रहेंगे और हल्की से मध्यम बारिश का दौर बन सकता है. मंगलवार को भी कहीं‑कहीं भारी बारिश की आशंका बनी रहेगी.राजस्थान में मॉनसून का पुनरुद्धारराजस्थान में मॉनसून फिर से सक्रिय हुआ है. कुछ दिनों तक यहां कम बारिश के कारण तेज धूप, गर्मी और लोगों के लिए असहज हालात बने रहे. लेकिन मौसमी प्रणालियों में बदलाव से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में राजस्थान के कई हिस्सों में बारिश होने की उम्मीद है, जिससे राहत मिलने की संभावना बनी हुई है.दक्षिण भारत में बारिश का अंदेशाभारत मौसम विज्ञान विभाग की जानकारी के अनुसार, 18 अगस्‍त को तटीय कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश और यानम तथा दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना है. साथ ही, 18-20 अगस्‍त की अवधि में केरल और माहे में भी कई स्थानों पर बहुत भारी वर्षा हो सकती है. इससे वहां के लोग और प्रशासन दोनों सतर्क हैं.और पढ़ें :- राजस्थान: हनुमानगढ़ में बीटी कपास 1.8 लाख हेक्टेयर में बोई, पिछले साल से 61 हजार हेक्टेयर अधिक

राजस्थान: हनुमानगढ़ में बीटी कपास 1.8 लाख हेक्टेयर में बोई, पिछले साल से 61 हजार हेक्टेयर अधिक

राजस्थान : 1.80 लाख हेक्टे. में बीटी कपास की बिजाई, गत वर्ष से 61 हजार हेक्टेयर ज्यादा, अगले 60 दिन महत्वपूर्णहनुमानगढ़ जिले में इस बार बीटी कपास की 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में बिजाई हुई है। बुवाई का यह आंकड़ा गत वर्ष से लगभग 61 हजार हेक्टेयर ज्यादा है। पिछले साल 1 लाख 19 हजार हेक्टेयर में ही बिजाई हुई थी। बारिश के बाद फसल में रोग का प्रकोप.फसल को गुलाबी सुंडी सहित अन्य रोग के प्रकोप से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी और पर्यवेक्षक सर्वे कर रहे हैं। फील्ड स्टाफ को नियमित रूप से खेतों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि अभी तक बड़े स्तर पर कहीं भी नुकसान की सूचना नहीं है। फिर भी कृषि विभाग के अधिकारी कृषकों को भी जागरूक कर रहे हैं। बिजाई क्षेत्र बढ़ने के साथ ही अगर उत्पादन अच्छा होगा तो जिले की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। किसानों को भी लाभ होगा। विभाग के अधिकारियों के अनुसार गुलाबी सुंडी एक बार टिंडे में चले जाने पर इसका प्रबंधन किया जाना लगभग असंभव हो जाता है। ऐसे में आगामी 60 दिन और सजग रहने की आवश्यकता है। किसानों से फसल की लगातार मॉनिटरिंग करने और रोग का प्रकोप दिखने पर विभाग की सिफारिश अनुसार नियंत्रण के लिए कार्य करने की अपील की गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार वर्तमान में कीटों का प्रकोप हानि स्तर से नीचे है।खरीफ सीजन की बीटी कपास मुख्य फसल है। इसको नकद फसल में भी शामिल किया गया है। किसानों को सबसे ज्यादा आय भी कपास से ही होती है। इस बार बिजाई का क्षेत्र बढ़ा है। बिजाई क्षेत्र के अनुसार ही उत्पादन में बढ़ोतरी होने से किसानों की आय बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। क्योंकि जिले की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। उत्पादन कम होने से हर वर्ग का व्यापार प्रभावित होता है। पिछले कई वर्षों में जिले में कॉटन जिनिंग मिल की संख्या भी बढ़ी है। पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होगा तो मिल में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसलिए विभाग के सामने कपास को सुंडी के प्रकोप से बचाना बड़ी चुनौती है। विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में कृषक गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इनमें किसानों से सुंडी के प्रकोप बढ़ने से लेकर नियंत्रण तक के उपाय बताए जा रहे हैं। सबसे कारगर तरीका फेरोमैन ट्रैप ही है। किसानों से नियमित रूप से निरीक्षण करने तथा खेतों में लगाए गए फेरोमैन ट्रैप से गुलाबी सुंडी के प्रकोप की मॉनिटरिंग कर उसके आर्थिक हानि स्तर का आकलन करने की अपील की गई है।आकलन के अनुसार यदि ट्रेप में 5 से 8 पतंगे प्रति ट्रेप लगातार तीन दिन तक आते हैं तो इस स्थिति में कृषि विभाग की सिफारिश के अनुसार नियंत्रण के प्रयास करने चाहिए। फलत अवस्था में पहुंची फसल, इसलिए पोषक तत्वों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता: कृषि विभाग की ओर से किसानों से फसल में पोषक तत्वों का भी विशेष ध्यान रखने की अपील की जा रही है। वर्तमान में कपास फसल फलन अवस्था में है। इस अवस्था में फसल को सर्वाधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता रहती है। जिले के कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बरसात के कारण फसल में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि वर्षा जल के कारण फसल के जड़ क्षेत्र में पोषक तत्वों का रिसाव भूमि के निम्न स्तर में हो जाता है।कई बार कृषकों द्वारा फसल बुवाई के समय आवश्यक पोषक तत्वों के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा नहीं दी जाती। इससे फसल को पोषक तत्वों की उपलब्धता नहीं हो पाती। इस कारण फूल गुड्डी पीली पड़कर गिरनी शुरू हो जाती है। इससे उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। किसानों से अपील की गई है कि कपास फसल में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देने पर या फूल-गुड्डी पीली पड़कर गिरने की स्थिति में विभागीय सिफारिश अनुसार घुलनशील उर्वरकों का खड़ी फसल पर परणीय छिड़काव किया जाए। खरीफ सीजन की बीटी कपास मुख्य फसल है। इन दिनों फसल फलन अवस्था में पहुंच चुकी है। फसल में गुलाबी सुंडी सहित अन्य रोग का प्रकोप बढ़ने की स्थिति में किस तरह नियंत्रण किया जाए इसको लेकर कृषकों को जागरूक किया जा रहा है।और पढ़ें :- भारत का कपास आयात 2024-25 में रिकॉर्ड 39 लाख गांठों तक पहुँच गया है।

भारत का कपास आयात 2024-25 में रिकॉर्ड 39 लाख गांठों तक पहुँच गया है।

कम वैश्विक कीमतों के कारण फसल वर्ष 2024-25 के लिए भारत का कपास आयात रिकॉर्ड 39 लाख गांठों तक पहुँच गया है।सितंबर में समाप्त होने वाले चालू फसल वर्ष 2024-25 के लिए भारत का कपास आयात रिकॉर्ड 39 लाख गांठों (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम) का होगा, जो पिछले वर्ष के 15.20 लाख गांठों से दोगुने से भी अधिक है। भारतीय कपास संघ (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि कम अंतरराष्ट्रीय कीमतों और दूषित पदार्थों से मुक्त कपास की मिलों की बढ़ती माँग के कारण आयात में वृद्धि हुई है।गणात्रा ने कहा, "आज हमारी कीमतें विश्व बाजार की तुलना में 10 से 12 प्रतिशत अधिक हैं और यही कारण है कि भारत ने 39 लाख गांठों को पार करते हुए लगभग 40 लाख गांठों का सबसे अधिक आयात किया है।" इससे पहले, भारत का कपास आयात 2022-23 के दौरान 31 लाख गांठ के उच्च स्तर को छू गया था, जब घरेलू कीमतें रिकॉर्ड एक लाख रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) तक पहुँच गई थीं।इसके अलावा, गणत्रा ने कहा कि भारतीय कंपनियों ने अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले फसल वर्ष के लिए कपास आयात के अनुबंध शुरू कर दिए हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें सस्ती हैं। गणत्रा ने कहा, "पिछले 10 दिनों में ही अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर डिलीवरी के लिए 1.5 लाख गांठों के अनुबंध किए गए हैं।"वर्तमान में, ब्राज़ीलियाई कपास किसी भी बंदरगाह डिलीवरी के लिए ₹51,000 प्रति कैंडी पर उपलब्ध है - जैसे तूतीकोरिन, मुंद्रा या न्हावा शेवा में। 11 प्रतिशत आयात शुल्क के कारण, इसकी कीमत ₹56,000 है। हालाँकि, मिलें, जो बहुत अधिक प्रत्यक्ष निर्यात कर रही हैं, खुले लाइसेंस पर खरीद सकती हैं, जिस पर आयात शुल्क 4.4 प्रतिशत है। गणत्रा ने कहा, "इसलिए उन्हें आयातित कपास सस्ता और सबसे अच्छा लग रहा है।"सितंबर तक अनुमानित 39 लाख गांठों के आयात में से लगभग 33 लाख गांठें जुलाई के अंत तक भारतीय बंदरगाहों पर पहुँच चुकी हैं। उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि आधे आयात ब्राज़ील से हुए हैं, जबकि 8-10 लाख गांठें अफ्रीकी देशों से आयात की गई हैं, जिन पर शुल्क आधा यानी 5.5 प्रतिशत है। 3 लाख गांठें शुल्क-मुक्त कोटे के तहत ऑस्ट्रेलिया से आयात की गई हैं।"वाणिज्य मंत्रालय के त्वरित अनुमानों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान डॉलर मूल्य के संदर्भ में कच्चे और अपशिष्ट कपास के आयात में 61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इस वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान कपास का आयात 383.22 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 238.30 मिलियन डॉलर से अधिक है। अप्रैल-मार्च 2024-25 के दौरान, भारत का कच्चे और अपशिष्ट कपास का आयात 1.219 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष के 598.66 मिलियन डॉलर से 104 प्रतिशत अधिक है।सीएआई के अनुसार, 2024-25 के लिए दबाव अनुमान 170 किलोग्राम प्रति गांठ 311.4 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 336.45 लाख गांठ से कम है। वर्ष के दौरान घरेलू मांग मामूली रूप से बढ़कर 314 लाख गांठ (पिछले वर्ष 313 लाख गांठ) और अंतिम स्टॉक 57.59 लाख गांठ (39.19 लाख गांठ) रहने का अनुमान है।और पढ़ें :- रुपया 08 पैसे बढ़कर 87.48 पर खुला

CCI कपास बिक्री विवरण (2024-25): राज्य अनुसार आंकड़े

💥राज्य के अनुसार CCI कपास बिक्री विवरण – 2024-25 सीज़न💥भारतीय कपास निगम (CCI) ने इस सप्ताह प्रति कैंडी मूल्य में कोई बदलाव नहीं किये है। मूल्य संशोधन के बाद भी, CCI ने इस सप्ताह कुल 28,800 गांठों की बिक्री की, जिससे 2024-25 सीज़न में अब तक कुल बिक्री लगभग 71,76,400 गांठों तक पहुँच गई है। यह आंकड़ा अब तक की कुल खरीदी गई कपास का लगभग 71.76% है।राज्यवार बिक्री आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और गुजरात से बिक्री में प्रमुख भागीदारी रही है, जो अब तक की कुल बिक्री का 83.86% से अधिक हिस्सा रखते हैं।यह आंकड़े कपास बाजार में स्थिरता लाने और प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए CCI के सक्रिय प्रयासों को दर्शाते हैं।और पढ़ें:-  चीन पर प्रतिबंध नहीं, भारत नहीं खरीद रहा रूसी तेल: ट्रम्प

चीन पर प्रतिबंध नहीं, भारत नहीं खरीद रहा रूसी तेल: ट्रम्प

ट्रम्प ने चीन पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया, दावा किया कि भारत अब रूसी तेल नहीं खरीद रहा है।अलास्का में अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपतियों के बीच वार्ता के अनिर्णायक परिणाम पर सरकार ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिया कि वह वार्ता के परिणामस्वरूप द्वितीयक या दंडात्मक शुल्क लागू करने को स्थगित कर सकते हैं। रूसी तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त शुल्क पर संभावित राहत नई दिल्ली के लिए राहत की बात होगी, हालाँकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के लिए एक दिवसीय यात्रा पर श्री ट्रम्प की अन्य टिप्पणियाँ राहत की बात नहीं होंगी, क्योंकि उन्होंने संकेत दिया था कि भारत ने पहले ही रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है।उन्होंने इस साल मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दोनों देशों द्वारा "हवाई जहाज मार गिराए जाने" के बाद भारत-पाकिस्तान युद्धविराम की मध्यस्थता में अपनी भूमिका पर अपनी पिछली टिप्पणियों को भी दोहराया - जिसका भारत ने खंडन किया है।वार्ता के बाद अमेरिकी समाचार पत्र फॉक्स न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में, श्री ट्रम्प ने कहा कि वह रूसी तेल पर दंडात्मक शुल्क के मुद्दे पर "दो या तीन हफ़्तों" में विचार करेंगे। संभवतः यह संकेत देते हुए कि 27 अगस्त की समय-सीमा भारत के लिए 25% के दंडात्मक शुल्क के बिना भी बीत सकती है, जो अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर पहले से ही लागू किए गए 25% पारस्परिक शुल्कों के अतिरिक्त है।जब उनसे विशेष रूप से चीन पर शुल्कों के बारे में पूछा गया, जो भारत से भी ज़्यादा तेल आयात करता है, तो श्री ट्रम्प ने कहा कि "आज जो हुआ, उसके कारण मुझे लगता है कि मुझे अभी इसके बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं है," और आगे कहा, "मुझे लगता है कि आप जानते हैं, [पुतिन के साथ] बैठक बहुत अच्छी रही।"इससे पहले बोलते हुए, श्री ट्रम्प ने दावा किया कि भारत पहले ही रूसी तेल की ख़रीद बंद करने पर सहमत हो गया है।शुक्रवार को वार्ता से पहले फॉक्स न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में श्री ट्रंप ने कहा, "उन्होंने (पुतिन ने) एक तेल ग्राहक खो दिया है, जो भारत है, जो लगभग 40% तेल का उत्पादन करता है, जैसा कि आप जानते हैं, चीन काफ़ी उत्पादन कर रहा है, और कुछ अन्य देश भी हैं।""अगर मैं द्वितीयक प्रतिबंध या द्वितीयक टैरिफ लगाता, तो यह उनके (रूस के) दृष्टिकोण से विनाशकारी होता। अगर मुझे ऐसा करना पड़ा, तो मैं करूँगा, हो सकता है मुझे ऐसा न करना पड़े," श्री ट्रम्प ने आगे कहा।ट्रम्प-पुतिन वार्ता से पहले, जिसका विदेश मंत्रालय ने स्वागत और "समर्थन" किया था, अधिकारियों द्वारा अलास्का में हो रही वार्ता पर तीन अलग-अलग संकेतकों के लिए नज़र रखने की बात कही गई थी।1. सबसे पहले, रूस-यूक्रेन युद्धविराम पर कोई भी समझौता सकारात्मक होगा, और इसका अर्थ यह भी होगा कि अमेरिका भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर अपनी आपत्तियाँ हटा लेगा।2. दूसरा यह कि यदि वार्ता बिना किसी समझौते के, लेकिन सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त होती है, तो अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय वस्तुओं पर 27 अगस्त से लागू होने वाले 25% जुर्माने या द्वितीयक शुल्क की अपनी घोषणा को संशोधित कर सकते हैं। दूसरी ओर, यदि वार्ता खराब तरीके से समाप्त होती है, या किसी भी पक्ष द्वारा बहिर्गमन किया जाता है, तो अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने रूसी तेल खरीदने पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी भी दी थी।3. तीसरा, यदि वार्ता अच्छी तरह समाप्त होती है, तो अमेरिका और भारत अगले कुछ वर्षों के लिए व्यापार वार्ता फिर से शुरू कर सकते हैं। द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ, संभवतः कम पारस्परिक टैरिफ पर भी बातचीत होगी, जो वर्तमान में 25% है। पिछले हफ़्ते, श्री ट्रंप ने सुझाव दिया था कि भारत और अमेरिकी व्यापार वार्ताकारों के बीच अगले दौर की वार्ता, जो 25 अगस्त को दिल्ली में होने वाली थी, रूसी तेल मुद्दे के "समाधान" होने तक स्थगित रहेगी।हालांकि श्री ट्रंप और श्री पुतिन ने किसी समझौते की घोषणा नहीं की, लेकिन उनकी बातचीत के बाद एक संक्षिप्त प्रेस वार्ता से पता चला कि दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई थी, और हालाँकि कोई समझौता नहीं हुआ था, श्री पुतिन ने कहा कि वे कुछ मुद्दों पर सहमत हुए हैं।ट्रंप का कहना है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान शांति की मध्यस्थता कीहालांकि, श्री ट्रंप ने पहलगाम हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अपनी भागीदारी पर अपना रुख नहीं बदला, और सुझाव दिया कि चाहे वह यूक्रेन में शांति समझौता करें या नहीं, ऑपरेशन सिंदूर सहित कई संघर्षों में अपनी भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं।“भारत और पाकिस्तान पर नज़र डालें। वे पहले से ही हवाई जहाज़ मार गिरा रहे थे, और वह शायद परमाणु हमला होता। श्री ट्रम्प ने कहा, "मैंने कहा था कि यह परमाणु हथियार होगा, और मैं युद्ध विराम कराने में सक्षम था।"और पढ़ें:- खरीफ का पूर्वानुमान: रकबे में कमी के बावजूद, अधिक पैदावार के कारण भारत का कपास उत्पादन बढ़ सकता है।

खरीफ का पूर्वानुमान: रकबे में कमी के बावजूद, अधिक पैदावार के कारण भारत का कपास उत्पादन बढ़ सकता है।

खरीफ का पूर्वानुमान: कम रकबे के बावजूद कपास उत्पादन बढ़ने की संभावनाअक्टूबर से शुरू होने वाले फसल वर्ष 2025-26 के लिए भारत का कपास उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहने की संभावना है, भले ही रकबे में कमी के कारण पैदावार अधिक हो। इस वर्ष कपास के दो प्रमुख उत्पादक राज्यों, गुजरात और महाराष्ट्र में कपास की बुवाई प्रभावित हुई है, जहाँ किसानों का एक वर्ग मूंगफली और मक्का जैसी अन्य लाभकारी फसलों की ओर रुख कर रहा है।शीर्ष व्यापार निकाय, कॉटन एसोसिएशन इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा, "इस वर्ष कपास की फसल की स्थिति बहुत अच्छी है। बहुत कम ही ऐसा होता है कि सभी 10 उत्पादक राज्यों में संतोषजनक बारिश हो। आज की स्थिति में, रकबा लगभग 3 प्रतिशत पीछे है। पिछले वर्ष इसी समय तक, कपास का रकबा 110 लाख हेक्टेयर था और इस वर्ष लगभग 107 लाख हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है। हालाँकि बुवाई कम है, फिर भी हमें बेहतर पैदावार की उम्मीद है, जिसमें 10 प्रतिशत तक सुधार होने की संभावना है।"गणत्रा बेहतर पैदावार का श्रेय समय पर हुई मानसूनी बारिश को देते हैं, जो जून के पहले सप्ताह में शुरू हुई थी, जो बुवाई के लिए आदर्श समय है। पिछले साल की तुलना में इस साल बुवाई 15 दिन पहले हो गई है। सीएआई अध्यक्ष ने देश भर के कपास व्यापार निकायों से मिली नवीनतम प्रतिक्रिया के आधार पर कहा, "इस साल पौधे हरे-भरे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो हमें 10 प्रतिशत अधिक उपज मिल सकती है, जिससे आसानी से 325-330 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) का उत्पादन हो सकता है।" सितंबर में समाप्त होने वाले मौजूदा 2024-25 सीज़न के लिए, सीएआई 311 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान लगा रहा है।दक्षिण में आश्चर्यगणत्रा ने कहा कि इस साल कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्य आश्चर्यजनक परिणाम देंगे। गणत्रा ने कहा, "कर्नाटक में 18-20 प्रतिशत अधिक बुआई हो रही है और वहाँ फसल बहुत अच्छी है। इस साल 24 लाख गांठों की तुलना में कर्नाटक में 30 लाख गांठों की फसल होने की उम्मीद है। तेलंगाना में, पिछले साल के 41 लाख एकड़ की तुलना में बुआई 5 प्रतिशत बढ़कर 44 लाख एकड़ हो गई है। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में भी 25 प्रतिशत अधिक बुआई हो रही है क्योंकि तंबाकू और मिर्च के कुछ किसान उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य के कारण कपास की ओर मुड़ गए हैं और भारतीय कपास निगम ने इस साल आंध्र प्रदेश में बड़ी खरीदारी की है।"गणत्रा ने कहा, "हमें अकेले दक्षिण से, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा से लगभग 1 करोड़ गांठें मिल सकती हैं, जो एक रिकॉर्ड होगा। इस साल उत्पादन लगभग 87 लाख गांठों का हुआ था।"मध्य भारत में, जहाँ से हमें लगभग 200 लाख गांठें मिलती हैं, इस खरीफ में गुजरात में बुआई 10 प्रतिशत और महाराष्ट्र में लगभग 3-4 प्रतिशत कम हुई है। रकबे में गिरावट मुख्यतः महाराष्ट्र के खानदेश क्षेत्र में हुई है, जबकि विदर्भ और मराठवाड़ा में बुवाई का रकबा स्थिर रहा है। खानदेश में, 2024-25 के दौरान फसल पिछले वर्ष के 15 लाख गांठों की तुलना में घटकर 9 लाख गांठ रह गई।गणत्रा ने कहा, "उत्तर भारत में फसल की स्थिति उत्कृष्ट है। इस वर्ष लगभग 28.5 लाख गांठें प्राप्त हुईं। अगले सीज़न में, उत्तर भारत में 38 लाख गांठ फसल होने की उम्मीद है।" राजस्थान में रकबा थोड़ा बढ़ा है, जबकि हरियाणा में यह कम हुआ है। पंजाब में बुवाई पिछले वर्ष के समान ही है, लेकिन फसल की स्थिति अच्छी है।पैदावार बढ़ सकती हैऑल इंडिया कॉटन ब्रोकर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और रायचूर के एक सोर्सिंग एजेंट, रामानुज दास बूब ने कहा कि इस वर्ष पैदावार बेहतर होगी, जिससे कुल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। दास बूब ने कहा, "समय पर बारिश और समय पर बुवाई से इस साल फसल को फ़ायदा हुआ है, जो अच्छी स्थिति में है।" उन्होंने आगे कहा कि इस साल बाज़ार में आवक जल्दी शुरू हो जाएगी।गुजरात में कोट्यार्न ट्रेडलिंक एलएलपी के आनंद पोपट ने कहा कि कुल बुवाई 2-4 प्रतिशत कम हो सकती है, लेकिन फसल की स्थिति अच्छी है और उपज बढ़ने की संभावना है। हालाँकि, फसल के आकार पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी, जो आगे मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा। पोपट ने कहा, "फसल लगभग 330 लाख गांठ होने की संभावना है, जो मौसम की स्थिति के आधार पर 5 प्रतिशत कम या ज़्यादा हो सकती है।"हालांकि, अमेरिकी कृषि विभाग ने इस सप्ताह विश्व आपूर्ति, उपयोग और व्यापार पर अपने नवीनतम अनुमानों में 2025-26 के लिए भारत का कपास उत्पादन 51.1 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है, जो 2024-25 के 52.2 लाख टन के अनुमान से कम है।और पढ़ें :-CCI ने 2024-25 का 71% से अधिक कपास स्टॉक ई-बोली से बेचा

CCI ने 2024-25 का 71% से अधिक कपास स्टॉक ई-बोली से बेचा

कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) के 2024-25 के कॉटन स्टॉक का 71% से अधिक ई-बोली के माध्यम से बेचा गयाभारतीय कपास निगम (CCI) ने पूरे सप्ताह कपास की गांठों के लिए ऑनलाइन बोली लगाई, जिसमें मिलों और व्यापारियों, दोनों सत्रों में उल्लेखनीय व्यापारिक गतिविधि देखी गई। चार दिनों के दौरान, CCI की कीमतें अपरिवर्तित रहीं।अब तक, CCI ने 2024-25 सीज़न के लिए लगभग 71,76,400 कपास गांठें बेची हैं, जो इस सीज़न के लिए उसकी कुल ख़रीद का 71.77% है।तिथिवार साप्ताहिक बिक्री सारांश: 11 अगस्त 2025:बिक्री 7,300 गांठों की रही, जो सभी 2024-25 सीज़न की हैं।मिल्स सत्र: 2,400 गांठेंव्यापारी सत्र: 4,900 गांठें12 अगस्त 2025 :2024-25 सीज़न से कुल 3,300 गांठें बिकीं।मिल्स सत्र: 600 गांठेंव्यापारी सत्र: 2,700 गांठें13 अगस्त 2025 :इस दिन सप्ताह की सबसे अधिक दैनिक बिक्री दर्ज की गई, जिसमें 2024-25 सीज़न से 13,700 गांठें बिकीं।मिल्स सत्र: 7,000 गांठेंव्यापारी सत्र: 6,700 गांठें14 अगस्त 2025 :2024-25 सीज़न से कुल 4,500 गांठें बिकीं।मिल सत्र: 1,300 गांठेंव्यापारी सत्र: 3,200 गांठेंसाप्ताहिक कुल:CCI ने इस सप्ताह लगभग 28,800 गांठों की कुल बिक्री हासिल की, जो इसके मजबूत बाजार जुड़ाव और इसके डिजिटल लेनदेन प्लेटफॉर्म की बढ़ती दक्षता को दर्शाता है।

गुजरात टेक्सटाइल उद्योग ने 10% निर्यात प्रोत्साहन की मांग की

50% अमेरिकी टैरिफ से खतरे में पड़े गुजरात के कपड़ा उद्योग ने 10% निर्यात प्रोत्साहन की मांग की है।अमेरिका द्वारा भारत से सभी आयातों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद गुजरात का कपड़ा उद्योग गंभीर संकट में है - उद्योग जगत के नेताओं का कहना है कि इस कदम से कई निर्यातक अपनी दुकानें बंद कर सकते हैं। उद्योग के हितधारकों ने केंद्र सरकार से प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है, जिसमें टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद के लिए 10 प्रतिशत निर्यात प्रोत्साहन भी शामिल है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह नया शुल्क दो चरणों में लगाया था - सभी भारतीय आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ और भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना। भारत सरकार ने इस फैसले की निंदा की है और रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद करने के अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है।यह झटका गुजरात के लिए विशेष रूप से कठोर है, जहाँ अहमदाबाद और सूरत जैसे प्रमुख कपड़ा केंद्र स्थित हैं। अमेरिका को भारत का कुल कपड़ा निर्यात सालाना 10-12 अरब अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें गुजरात का हिस्सा 15 प्रतिशत से अधिक है।गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की कपड़ा समिति के सह-अध्यक्ष संदीप शाह ने कहा कि निर्यातकों को शुरू में उम्मीद थी कि बातचीत के बाद 25 प्रतिशत टैरिफ वापस ले लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "लेकिन अब 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के साथ, अमेरिका के साथ व्यापार असंभव हो गया है। कपड़ा उद्योग के लिए, अमेरिकी बाजार अब लगभग बंद हो गया है।"शाह के अनुसार, व्यापार में इस तरह के अचानक ठहराव से नकदी की गंभीर समस्याएँ पैदा होंगी। उन्होंने चेतावनी दी, "अगर इसे जल्दी हल नहीं किया गया, तो उद्योग को उबरने में छह महीने से ज़्यादा लग सकते हैं।"कई लोगों का मानना है कि सिंथेटिक कपड़े के निर्यात के लिए मशहूर सूरत को इससे भारी नुकसान होगा।दक्षिणी गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ के पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा कि अकेले इस शहर से अमेरिका को 3,000-4,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष निर्यात होता है। उन्होंने कहा, "अप्रत्यक्ष प्रभाव और भी बड़ा होगा - नुकसान 10,000-12,000 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है क्योंकि कई संबद्ध उद्योग कपड़ा उद्योग पर निर्भर हैं।"कुछ लोगों के लिए, उत्पादन बंद करना या उसे दूसरी जगह ले जाना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है। अहमदाबाद स्थित कांकरिया टेक्सटाइल्स के मालिक पीआर कांकरिया ने कहा, "अगर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया जाता है, तो कोई भी अमेरिका को निर्यात नहीं कर पाएगा। इकाइयाँ बंद हो जाएँगी, कारीगरों की नौकरियाँ चली जाएँगी और कई लोगों को पलायन करना पड़ेगा।"उद्योग निकाय केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह कर रहे हैं। एक प्रस्ताव 10 प्रतिशत निर्यात प्रोत्साहन का है ताकि टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके और निर्यात को अन्य देशों की ओर पुनर्निर्देशित किया जा सके। कांकरिया ने कहा, "अगर हमें प्रोत्साहन मिलता है, तो अन्य बाज़ारों में हमारा निर्यात तीन गुना हो सकता है। अगर नहीं, तो सब कुछ रुक जाएगा।"अमेरिका भारतीय वस्त्रों का एक प्रमुख खरीदार बना हुआ है, और इस बाज़ार को खोने का असर आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ सकता है - सूत बनाने वालों से लेकर कढ़ाई करने वाली इकाइयों तक।हालाँकि इस क्षेत्र ने यूरोप, पश्चिम एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में निर्यात में विविधता ला दी है, लेकिन अल्पावधि में अमेरिकी बाज़ार की जगह लेना मुश्किल होगा।और पढ़ें :- रुपया 02 पैसे बढ़कर 87.47 पर खुला

"शुल्क चिंताओं पर निर्यातकों से मिलेंगे वस्त्र मंत्रालय"

शुल्क संबंधी चिंताओं के बीच निर्यातकों के साथ बैठक करेगा वस्त्र मंत्रालयअमेरिका द्वारा लगाए गए 25% पारस्परिक शुल्क को लेकर व्यवसायों में बढ़ती चिंता के बीच, वस्त्र मंत्रालय ने आज देशभर के प्रमुख वस्त्र और परिधान निर्यातकों के साथ एक बैठक बुलाई है। यह बैठक, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह कर रहे हैं, का केंद्र बिंदु ऑर्डर फ्लो में आ रही चुनौतियों पर चर्चा करना है, खासकर हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के बाद, जिससे अन्य एशियाई प्रतिस्पर्धी देशों के साथ शुल्क अंतर बढ़ गया है।श्रम-गहन वस्त्र और परिधान उद्योग के लिए अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है। 7 अगस्त से, जब ट्रम्प प्रशासन ने आयात शुल्क 25% तक बढ़ा दिया, तब से निर्यातक दबाव में हैं। यह दर 27 अगस्त से दोगुनी होकर 50% हो जाएगी। निर्यातकों का कहना है कि ऑर्डर की गति धीमी हो गई है, खरीदार या तो शुल्क का बोझ साझा करने की मांग कर रहे हैं या फिर भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में स्पष्टता आने तक खरीद रोक रहे हैं।अधिकारियों ने बताया कि बैठक में उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक है ऑर्डर घटने से नकदी प्रवाह में आई रुकावट। निर्यातकों ने सरकार से सॉफ्ट लोन, ब्याज सबवेंशन योजनाओं और तरलता बनाए रखने के लिए केंद्रित बाज़ार विकास पहलों के रूप में सहायता मांगी है।हालांकि निर्यातकों को उम्मीद है कि शुल्क वृद्धि अस्थायी होगी, लेकिन कई लोगों को वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों से बाज़ार हिस्सेदारी खोने का डर है, जो कम अमेरिकी शुल्क का सामना करते हैं। भारत का 25% पारस्परिक शुल्क अधिकांश एशियाई प्रतिस्पर्धियों (चीन को छोड़कर) से अधिक है, और नीति-निर्माण हलकों में यह चिंता है कि अगर स्थिति बनी रही तो इस क्षेत्र में नौकरियों का नुकसान हो सकता है।अधिकारियों के अनुसार, सरकार निर्यातकों के साथ लगातार संवाद में है ताकि स्थिति का आकलन किया जा सके और संभावित हस्तक्षेपों का पता लगाया जा सके। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि अमेरिका को भारत के आधे से अधिक माल निर्यात पर उच्च शुल्क का असर पड़ेगा। 2024 में अमेरिका ने भारत के रेडीमेड परिधान निर्यात में 33% हिस्सेदारी रखी, और साथ ही होम टेक्सटाइल व कालीन क्षेत्रों में भी प्रमुख गंतव्य रहा—जहां क्रमशः 60% और 50% निर्यात अमेरिका को होते हैं।और पढ़ें :- डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे बढ़कर 87.49 पर बंद हुआ

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