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ट्रंप की टैरिफ चाल, भारत-चीन पर भारी

2025-08-06 17:39:50
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भारत या चीन, कौन आगे बढ़ेगा की बहस बेकार... ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच ग्‍लोबल टाइम्‍स ने डाले डोरे, तंज भी किया


बीजिंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीते कुछ दिनों से भारत को लेकर आक्रामक हैं। अमेरिका की ओर से भारत के सामानों पर टैरिफ लगाने और भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान करने की धमकियां दी गई हैं। इस मुद्दे पर एक तरफ ईरान और रूस जैसे देशों ने खुलकर भारत का साथ दिया है तो दूसरी ओर चीन शातिराना तरीके से पेश आ रहा है। चीन का ग्लोबल टाइम्स एक ओर भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर कह रहा है तो सहयोग बढ़ाने की बात कर रहा है। ट्रंप के टैरिफ की ओर इशारा करते हुए चीन ने भारत के साथ बेहतर संबंधों पर जोर दिया है। बीजिंग की ओर ये सब पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे से ठीक पहले कहा गया है। मोदी 31 अगस्त को चीन जा रहे हैं।


चीनी सरकार के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने बुधवार को भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर छिड़ी बहस पर प्रतिक्रिया दी है। ग्लोबल टाइम्स कहता है मई 2025 में, भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह महीने-दर-महीने 99 प्रतिशत और साल-दर-साल 98 प्रतिशत घट गया। इसने भारत की आर्थिक संभावनाओं और उसके कारोबारी माहौल को लेकर नई अंतरराष्ट्रीय बहस छेड़ दी है।


भारत के माहौल में सुधार की जरूरत
युन्नान एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के रिसर्च फेलो चेन लिजुन का मानना है कि सामान्य आर्थिक विकास पैटर्न के दृष्टिकोण से राष्ट्रीय आर्थिक उत्थान और आधुनिकीकरण के लिए कठिन संघर्ष की आवश्यकता होती है। भारत में विदेशी निवेश की कमी के पीछे देश का कारोबारी माहौल, नीतिगत दिशा और विकास का चरण शामिल है।


उभरती हुई प्रमुख शक्ति के रूप में भारत अपने औद्योगिक और आर्थिक विकास में पुरानी तकनीक, सीमित पूंजी और कमजोर बुनियादी ढांचे जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसका अल्पावधि में समाधान मुश्किल है। निवेश नीतियों और प्रथाओं के साथ इन मुद्दों ने भारत में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों को बार-बार असफलताओं का सामना करना पड़ा है।


चीन-भारत के बीच सहयोग
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि पश्चिमी मीडिया ने हालिया वर्षों में चीन और भारत के बीच आर्थिक होड़ की होने की बात कही है। इस तरह की बयानबाजी का कोई ठोस महत्व नहीं है। भारत और चीन का सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। दोनों में कोई टकराव नहीं बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं।


चीन भारत के साथ सहयोग को बहुत महत्व देता है और भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक है। आज के जटिल और लगातार बदलते वैश्विक परिदृश्य में इस बात पर बहस नहीं होनी चाहिए कि कौन किसकी जगह लेगा। इसके बजाय एक-दूसरे की ताकत का उपयोग, व्यावहारिक सहयोग और साझा विकास को बढ़ावा देना समझदारी का काम है।


संबधों का अहम मोड़
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि चीन-भारत संबंध एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं क्योंकि दोनों देश निम्नतम बिंदु से उबर रहे हैं। तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन-भारत संबंधों का स्थिर विकास दोनों पक्षों के साझा हितों के अनुरूप है। दोनों देशों को राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए।


दोनों देशों को सहयोग के मार्गों का विस्तार करना चाहिए और संयुक्त रूप से मैत्रीपूर्ण सहयोग का एक नया अध्याय लिखना चाहिए ताकि दोनों देशों के साथ-साथ क्षेत्र और दुनिया में शांति, स्थिरता और विकास में और अधिक योगदान दिया जा सके।


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